काजर का जरके करै, नैनन के कजरार
करिया पुतरिन के रसै, कोर लगैं करियार
आँज आँज आँजन करै, अँगुरिन टोक लगाय
बिना बान के आनके, आँज न आँजन जाय
अँखिया लखि नखिया लखै, सखिया बहुतै ढीठ
मुरहा तितकों सनमुखे, पिछउँड़ लागै मीठ
बड़ी-बड़ी अँखियन लखैं अँखियाँ नाहिं अघायँ
अखियन धँसि उर उतरिके, अँखिया नाहिं अमायँ
छवि पातरि अगुरीन की, पंडित ललचै देख
नरम गदोरी हाथ धरि, बाँचै लागल रेख
कबहूँ कर-रेखा पढ़ै, पढ़ै कबौं तकि भाल
मन बाँचे चाहै बहुत, आँखिन अँखिया डाल
जेकरे खातिर सरबसै, तजि देवै के आस
कुफुत इहै ऊहै तनिक, नाहिं करै विसवास
मीठ तीत कड़ुआ सबै, पग पग सँगवैं लाग
अपने करमे लिख गयल, पानी पाथर आग